रिपोर्ट- सिद्धांत सिंह
लखनऊ दुर्लभ वाद्य यंत्रों की मधुर धुनों ने संगीतप्रेमियों को आनंदित कर दिया। संगीत नाटक अकैडमी में रिद्म ऑफ वेस्टर्न इंडिया ‘तालयात्रा’ कार्यक्रम हुआ। जिसका आयोजन संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के सहयोग से तबला वादक शेख मोहम्मद इब्राहिम ने किया।
वरिष्ठ पुलिस अधिकारी एन चौधरी ने दीप प्रज्जवलन कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि संगीत की साधना इंसान को सकारात्मकता की ओर ले जाती है। कार्यक्रम में कलाकारों ने महाराष्ट्र, राजस्थान और गुजरात के पारंपरिक वाद्य यंत्रों को बजाकर पूरा माहौल संगीतमय कर दिया।
चमेली पर सीराज, नक्कारा पर राजू राणा, बांसुरी पर विमलकांत, ढोलक पर शाहिद, हारमोनियम पर दीप, तबला पर शेख इब्राहिम, सारंगी पर मनोहर लाल, करताल गायन पर दिनेश कुमार ने वादन की मनमोहक प्रस्तुति दी।
कार्यक्रम में खंजीरा, नक्कारा, हलगी पर कुनाल शिंदे, संबल पर विक्रम रेणुके, सारंगी, संतूर, हारमोनियम, बांसुरी, करताल, ढोलक, सम्बल, तबला सहित कई वादय यंत्रों की प्रस्तुतियां हुईं। शेख इब्राहिम ने बताया कि यह विभिन्न प्रांतों के वादकों की दुर्लभ ताल यात्रा है।
जिसमें उत्तर प्रदेश के अलावा महाराष्ट्र, राजस्थान और गुजरात के कुल 15 वादक शामिल थे। मंच संचालन राजेंद्र विश्वकर्मा हरिहर ने किया। शेख इब्राहिम ने आभार जताया। अवधी लोक गीत नन्हीं-नन्हीं बुंदिया रे… व रेलियां बैरन…, राजस्थानी लोक गीत केसरिया बालम…, मराठी गीत गाड़ी घुंघराची आली… की गायन प्रस्तुति हुई। जिसमें अंशिका, अंश, अनुष्का व विक्रम रेणुके ने शानदार गायन किया। समापन सारे जहां से अच्छा.. राष्ट्रगीत से हुई।
सम्बल महाराष्ट्र के सबसे प्राचीन लोक ताल वाद्यों में है। शेख इब्राहिम ने बताया कि इसकी उत्पत्ति शिव के डमरू से मानी जाती है। हलगी यह महाराष्ट्र के ग्रामीण क्षेत्र का महत्वपूर्ण वादय है। जिसका मुख्य प्रयोग संदेश देने के समय किया जाता है। इसके अलावा महाराष्ट्र गुमका, दिमड़ी, ढोलकी और राजस्थान के करताल मनमोहक वादन हुआ।