महिलाओ के द्वारा क़ानून दुरूपयोग के मामलो को संज्ञान मे लेकर करें संविधान मे संशोधन ताकि मिल सके सभी को न्याय

संपादकीय -गौरव बाजपेयी

भारतीय संविधान मे दहेज प्रताड़ना कानून महिलाओं को दहेज प्रताड़ना से बचाने के लिए बनाया गया था परंतु हाल के सालों में वैवाहिक विवाद काफी बढ़ गए हैं शादी के संबंध में कई मामलो में काफी तनाव देखने को मिले रहे है। इस कारण इस बात की प्रवृत्ति बढ़ी है कि अपना स्कोर सेटल करने के लिए पति के रिश्तेदारों के खिलाफ दहेज प्रताड़ना कानून का इस्तेमाल तीव्र गति से हो रहा है जिसमे पति का भविष्य, नौकरी, सामाजिक व पारिवारिक जीवन पूर्ण रूप से बर्बाद होता चला जा रहा है।भारत में इस वक्त वैवाहिक रिश्ते में बलात्कार के कानून को लेकर बात चल रही है केस बताता है की किस तरह बलात्कार की धारा का पारिवारिक विवादों में दुरुपयोग हो रहा है और सवाल यह भी उठता है कि अगर कानून आ गया है तो पतियों को इस तरह के झूठे इल्ज़ामों से आख़िरकार कौन बचाएगा FIR में सिर्फ एक लाइन की वजह से इंसान को गुनाहगार ठहरा कर जेल मे डाल दिया जाता है जो कि पूर्ण रूप से दुःखद है।दहेज लेना या देना कानूनन अपराध है साथ मे सामाजिक रूप से भी यह बहुत बड़ा पाप है ये हकीकत है कि देश में आज भी हजारों, लाखों महिलाओं को दहेज को लेकर यातनाएं सहनी पड़ती हैं। यहां तक कि उनकी हत्या भी कर दी जाती है। दहेज उत्पीड़न को रोकने के लिए ही आईपीसी में 498A का प्रावधान किया गया है। लेकिन इस कानून का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग हो रहा है जिस पर सुप्रीम कोर्ट समय-समय पर तल्ख टिप्पणी कर चुका है। डॉक्युमेंट्री फिल्म मेकर और ऐक्टिविस्ट दीपिका नारायण भारद्वाज 498A के दुरुपयोग के खिलाफ अलख जला रही हैं कई सामाजिक संस्थाओ ने भी इस ओर सरकार का ध्यान आकृष्ट करने का प्रयास किया हैक ‘मार्टर्स ऑफ मैरिज’ नाम से डॉक्युमेंट्री फिल्म भी बनाई गयी हैं। मेरे पास बतौर पत्रकार ऐसे सैकड़ों की तादाद में ऐसे पुरुष मदद मांगने आते हैं जिन्हें कथित तौर पर झूठे केस में फंसाया गया है या उन्होंने आत्महत्या कर ली है या फिर वह मानसिक रूप से प्रताड़ित होकर नशे या अपराध के रस्ते जाने के लिए लिए मजबूर हो गए है जिसके मेरे पास काफ़ी प्रमाण है व पूर्ण रूप से प्रामाणिक है जिन्हे देख आहत होकर अपनी कलम से पुरुषों के दर्द को आज बयां कर रहा हूँ।इस प्रकार के महिलाओ के द्वारा किये जा रहे क़ानून के दुरूपयोग पर सुप्रीम कोर्ट ने कई बार तलख़ टिप्पणी देते हुएसुप्रीम कोर्ट ने दहेज प्रताड़ना मामले में बड़ा आदेश दिया था सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि 498ए (दहेज प्रताड़ना) मामले में पति के रिश्तेदार के खिलाफ स्पष्ट आरोप के बिना केस चलाना कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग है। शीर्ष न्‍यायालय के अनुसार पति के रिश्तेदार (महिला के ससुरालियों के खिलाफ सामान्‍य और बहुप्रयोजन वाले आरोपों के आधार पर केस चलाया जाना कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग है। इस तरह केस नहीं चलाया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने महिला के ससुरालियों के खिलाफ चल रहे दहेज प्रताड़ना केस,दहेज उत्पीड़न से जुड़े कानूनी प्रावधानों का पति के रिश्तेदारों की घसींटने के लिए हो रहे दुरुपयोग का जिक्र करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अदालतों को इस तरह की शिकायतों के मामले में बहुत सावधानी बरतनी होगी।वास्तविकता की यदि बात की जाये तो यह एक ऐसी सामाजिक कुरीति है जिसे विशेष रूप से सुधारना अत्यंत आवश्यक है ज़ब एक पुरुष को महिला के द्वारा झूठा मुकदमा करके प्रताड़ित किया जाता तो वह इतना मानसिक प्रताड़नाओ से ग्रसित हो जाता है जिसमे उसके परिवार के भी सदस्य, रिश्तेदार सभी उसका साथ छोड़ देते है जिसकी वह अवसाद से ग्रस्त होकर आत्महत्या कर लेता है या डिप्रेशन मे आकर नशे का आदीं होकर अपनी जिंदगी बर्बाद कर लेता है मेरे कार्यालय पर एक नहीं सैकड़ो की तदाद मे लोग अपनी पीड़ा को व्यक्त कर मदद की गुहार लगाते जिसमे समय रहते सरकार को महिलाओ की तरह पुरुषों को भी सामान्य रूप से कानूनी हक देना चाहिए और मै पुरुषो का पक्षधर नहीं बल्कि सामान्य तौर पर सभी को बराबर न्याय मिले एक नजरिये से देखा जाये इस पर विश्वास रखता हूँ यदि महिला संविधान के द्वारा प्रदत्त क़ानून का दुरूपयोग करती पाई जाये तो उसे भी दंडित किया जाये एक महिला को अबला समझकर छोड़ना पूर्णतः गलत है और पुरुष को बिना गलती के ही कसूरवार मानकर दण्डित किया जाता है कानून 498ए,125 व बलात्कार जैसे कानूनों की दुर्गति का मुख्य कारण महिलाओ के द्वारा किया जा रहा दुरूपयोग है जिसमे जो महिलाये वास्तविकता मे प्रताड़ित है उन्हें सही मायने मे न्याय नहीं मिल पाता उक्त कानूनों मे संशोधन करना अत्यंत आवश्यक है जिससे युवा पुरुष वर्ग भी आत्महत्या,नशा, व आपराधिक प्रवत्ति, एवं मानसिक बीमारियों से ग्रसित न होकर भारतीय संविधान पर विश्वास रखते हुए एक सफल व अच्छा नागरिक बन सके।

You May Also Like

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *