
रिपोर्टर गौरव बाजपेयी
तीन कृषि कानून वापसी को लेकर मचा घमासान
1- 700 से ज्यादा किसानों की शहादत ।
2- सर्दी, गर्मी, बरसात में लगातार 1 साल से ज्यादा धरने पर बैठे किसान।
3- पानी की बौछारें, आंसू गैस के गोले लाठीचार्ज से लेकर कीलें और कटीले तारों से किसानों के हौसलों को तोड़ने की कोशिश।
4- खालिस्तानी, पाकिस्तानी नक्सली मुट्ठी भर किसान से लेकर हर तरह से बदनाम करने की कोशिश।
5- असली और नकली छोटे और बड़े किसानों की खाई को खोदने और बांटने की कोशिश।
6- संसद में आंदोलन जीवी जैसे शब्दों का इस्तेमाल कर धरने पर साल भर से ज्यादा बैठे किसानों के घाव में नमक छिड़कने जैसा कार्य।
इन सब बातों और हर एक मुसीबत को पार करते किसानों के हौसले हर एक सेकंड फौलादी होते गए जिसका नतीजा यह रहा कि एक दिन अचानक राष्ट्र के नाम संबोधन में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ही अंदाज में तीनों कृषि कानून वापस लेने का फैसला लिया और 700 से ज्यादा किसानों की शहादत नक्सली खालिस्तानी राष्ट्र विरोधी और पता नहीं क्या-क्या शब्दों से किसानों के हौसले को तोड़ने की भरसक कोशिश की गई लेकिन 1 साल से गर्मी,सर्दी बरसात में बैठे किसानों के जज्बे और हौसले की जीत हुई।