जैविक खेती, प्राकृतिक खेती तथा गौ आधारित खेती को बढ़ावा दिया जाये- श्रीमती आनंदीबेन पटेल

रिपोर्टर गौरव बाजपेयी
उत्तर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने आज राजभवन से चन्द्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, कानपुर तथा भारतीय उद्यान विज्ञान अकादमी, नई दिल्ली द्वारा ‘9वीं भारतीय बागवानी कांग्रेस-2021ः स्वास्थ्य आजीविका और अर्थव्यवस्था के लिए बागवानी‘‘ विषय पर आयोजित वेबिनार को सम्बोधित किया। इस अवसर पर राज्यपाल ने कहा कि स्वास्थ्य और भोजन के बीच अटूट रिश्ता है, लेकिन यह रिश्ता तभी तक बना रह सकता है, जब तक हम आहार के प्रति सचेत रहते हैं। जीवन को स्वस्थ्य रखने में फल एवं सब्जियों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। उन्होंने कहा कि फलों और सब्जियों के नियमित सेवन से मानव स्वास्थ्य और शरीर की आन्तरिक प्रणाली तो मजबूत होती ही है, साथ ही पाचन शक्ति भी बढ़ती है, जो पोषण प्रदान करने के अतिरिक्त अनेक रोगों से बचाने में सहायक होती है।
राज्यपाल ने कहा कि बागवानी फसलों का कृषि एवं संवर्गीय क्षेत्र के सकल घरेलू उत्पादन में महत्वपूर्ण योगदान है। बढ़ती मांग तथा कृषि में महत्वपूर्ण योगदान के कारण ही बागवानी फसलें प्राथमिकता का क्षेत्र बन रही हैं। बागवानी फसलों में जैविक उत्पादकता और पोषण मानकों में सुधार के अलावा लाभ प्रदाता बढ़ाने की भी काफी संभावनाएं हैं। उन्होंने कहा कि हम सभी को जैविक खेती, प्राकृतिक खेती तथा गौ आधारित खेती को बढ़ावा देना होगा।
राज्यपाल ने कहा कि कृषि व्यवसाय प्रबन्धन, व्यापार एवं किसानों के उत्पादों को उचित मूल्य एवं खाद्य प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्धन पर भी विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। बढ़ती गर्मी का भी औद्यानिक फसलों की उत्पादकता में प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। इन प्रतिकूल प्रभावों से बचने के लिए विषम जलवायु परिस्थितियों का मुकाबला कर सकने वाली क्लाइमेट स्मार्ट किस्मों एवं सस्य तकनीकियों का विकास वैज्ञानिकों को करना होगा। राज्यपाल ने अपील की कि वैज्ञानिक स्वास्थ्य और वातावरण की समस्याओं के निवारण हेतु बेहतर शोध तथा पारदर्शी नियामक व्यवस्था लाने की दिशा में प्रयास करें, जिससे जैव प्रौद्योगिकी द्वारा विकसित फसलों का उपयोग किसान कर सकें।
राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने कहा कि प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक दोहन से पर्यावरण संतुलन बिगड़ा है, जिसके कारण मानव समाज को अनेक आपदाओं का सामना करना पड़ रहा हैं। हम सभी को पर्यावरण को संरक्षित, संवर्धित एवं समर्पित करना ही होगा, वरना आने वाली पीढ़ियां हमें कभी माफ नहीं कर पायेंगी।
राज्यपाल ने कहा कि वर्तमान खान-पान में व्यापक बदलाव की अहम आवश्यकता है। मोटे अनाज व फल एवं शाकभाजी आदि फसलों में लौह लवण प्रोटीन एवं विटामिन आदि से भरपूर होती है। वैज्ञानिक शोध कार्य करके उनकी उन्नतशील प्रजातियों विकसित करें तथा इनके मूल्य सम्बर्द्धित सस्ते उत्पाद तैयार किये जायें, जिससे कि विशेषकर महिलाओं एवं बच्चों को कुपोषण का शिकार होने से बचाया जा सके।
राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने कहा कि वैज्ञानिकों द्वारा विकसित नवीन कृषि तकनीक को त्वरित गति से किसानों तक पहुँचाने में कृषि प्रसार की महत्वपूर्ण भूमिका है। विश्वविद्यालय किसानों को उद्यान, शाकभाजी, फूल, मसाला, औषधीय व सुगंधित फसलों के गुणवत्ता युक्त बीज तथा सही तकनीकी समय से पहुंचाएं।
इस अवसर पर राज्यमंत्री उच्च शिक्षा श्रीमती नीलिमा कटियार, भारतीय उद्यान विज्ञान अकादमी के अध्यक्ष पद्मश्री डॉ0 के0एल0 चड्ढा, कृषि लागत एवं मूल्य आयोग के अध्यक्ष डॉ0 एन0पी0 सिंह, कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष डॉ0 एम0 अंगामुथू, कृषि आयुक्त भारत सरकार डॉ0 एस0के0 मल्होत्रा तथा चन्द्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कानपुर के कुलपति डॉ0 डी0आर0 सिंह सहित देश के विभिन्न कृषि विश्वविद्यालयों एवं भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद से आये हुए वैज्ञानिकगण आनलाइन जुड़े हुए थे।

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