महाकुंभ में संतो का शाही अंदाज में शाही सवारियों के साथ हो रहा महाकुंभ के महापर्व का शुभारंभ”-
“ढ़ोल’ ताशा,नगाडो के साथ हो रहा है हरिद्वार में महाकुंभ में सन्तो,अखाड़ो नागाओ व साधु महात्माओ का आगमन”
हरिद्वार।
महाकुम्भ के परम पवित्र पुण्यमयी आस्था की डुबकी लगाने के लिये भारी संख्या में साधु संत ढोल नगाड़ों ताशों,तलवार बाजी एवं भिन्न भिन्न करतबों के साथ नगर फेरी करते हुए शाही अन्दाज मे महाकुम्भ के महापर्व का आगाज कर दिया है ।इस महापर्व में आ रहे साधु सन्तों के आगमन एवं महाकुम्भ के पवित्र स्नान को दृष्टिगत रखते हुये प्रशासन भी काफी चुस्त दुरुस्त दिखाई दे रहा है ।
महाकुंभ आने वाले सन्त महात्माओं पर हेलीकॉप्टर के द्वारा आकाश मार्ग से पुष्प वर्षा की जा रही है। यदि हम कुंभ के शाब्दिक अर्थ को देखे तो घड़ा या सुराही बर्तन होता है। यह वैदिक ग्रंथों में पाया जाता है। इसका अर्थ अक्सर पानी के विषय में या पौराणिक कथाओं में अमरता के अमृत के विषय में बताया गया है
लेक़िन हिंदू धर्म के कुंभ एक अत्यंत ही महत्वपूर्ण महापर्व है जिसमें करोड़ों श्रद्धालुजन महाकुंभ जैसे महापर्व को मनाने जैसे प्रयागराज,हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में स्नान करते हैं
इनमें से प्रत्येक स्थान पर प्रति बारहवें वर्ष और प्रयाग में दो कुंभ पर्वों के बीच छह वर्ष के अंतराल में अर्धकुंभ भी होता है। 2013 का कुम्भ प्रयाग में हुआ था। फिर 2019 में प्रयाग में अर्धकुंभ मेले का आयोजन हुआ था एवं इस बार यह हरिद्वार में पड़ा है जिसमे भारी तादाद में साधुओं का आगमन जारी है। खगोलिय गणनाओं के अनुसार कुंभ मेला मकर संक्रांति के दिन प्रारम्भ होता है
एवं जब सूर्य और चन्द्रमा, वृश्चिक राशि में और वृहस्पति, मेष राशि में प्रवेश करते हैं। मकर संक्रांति के होने वाले इस महायोग को “कुम्भ स्नान योग कहते है एवं इस दिवस को विशेष मंगलकारी माना जाता है क्योंकि ऐसा माना जाता है
कि इस दिन पृथ्वी से उच्च लोकों के द्वार इस दिन खुलते जाते है और इस दिन स्नान करने से आत्मा को उच्च लोकों की प्राप्ति आसानी से हो जाती है। यहाँ स्नान करना साक्षात् स्वर्ग दर्शन माना गया है। हिन्दू धर्म मे महाकुंभ के महापर्व का अत्यधिक महत्व माना जाता है।