काली पट्टी बांधकर, केन्द्र सरकार का पुतला फूँकेंगें

गौरव बाजपेयी, ब्यूरो चीफ़

*लखीमपुर हत्याकांड की पहली बरसी पर देशभर में किसानों का विरोध-प्रदर्शन* 

लखनऊ , 1 अक्टूबर। संयुक्त किसान मोर्चा के राष्ट्रीय आह्वान पर सोमवार को देशभर में किसान विरोध-प्रदर्शन करेंगें। सोमवार यानी 3 अक्टूबर को लखीमपुर हत्याकांड की घटना को एक साल हो जाएगा। 

    इसी दिन एक साल पहले लखीमपुर जिले के तिकोनिया में किसानों ने उपमुख्यमंत्री केशवप्रसाद मौर्य और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टैनी के आगमन का विरोध किया था। विरोध के रहते दोनों मंत्री दूसरे रास्ते से कार्यक्रम पहुँचे। जब किसान प्रदर्शन कर वापस लौट रहे थे, तब केन्द्रीय मंत्री अजय मिश्र टैनी के बेटे आशीष मिश्रा और उनके साथियों ने पीछे से किसानों पर थार गाड़ी चढ़ा दी। चार किसान और एक पत्रकार शहीद हो गए। किसान नेता तजिन्दर सिंह विर्क सहित 13 किसान बुरी तरह घायल हुए, जिनमें से कई की हालत आज तक सामान्य नहीं हो सकी। उस समय तमाम पाबंदियों बावजूद देश भर से किसान लखीमपुर पहुँचे। शहीद किसानों के अंतिम संस्कार से पहले भारी विरोध-प्रदर्शन हुआ। दोनों पक्षों की ओर से पुलिस में मामले दर्ज हुए। एफआईआर संख्या 219/21 में केन्द्रीय मंत्री अजय मिश्रा टैनी और उसके बेटे के खिलाफ संगीन आरोप दर्ज हैं।  एस आई टी ने भी अपनी रिपोर्ट में इस घटना सुनियोजित माना था। 

  अंतिम संस्कार के दौरान राकेश टिकैत समेत कई क्षेत्रीय नेताओं के साथ राज्य सरकार के प्रतिनिधियों का समझौता हुआ था। शहीद किसानों एवं पत्रकार के परिजनों को 45 लाख रूपये मुआवजा और एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी, 13 घायलों को 10 लाख रूपये की सरकारी सहायता दी जाएगी। दूसरे पक्ष की ओर से किसानों के खिलाफ हत्या के आरोपों के बारे में पुलिस के साथ किसान नेताओं का यह समझौता था कि इस घटना को गंभीर व एकाएक उकसावे से पैदा कार्यवाही मानेगी। साथ ही किसानों को गिरफ्तार नहीं करेगी। जिन किसानों का नाम हत्या करने में लिखवाया गया उन्हें धारा 304 ए के तहत आरोपी बनाकर जमानत दे दी जाएगी। इस घटना के मुख्य साजिशकर्ता केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र टैनी की बर्खास्तगी की मांग की गई। मंत्री टैनी की आपत्तिजनक एवं भड़काऊ बयानवाजी और उकसावे की वजह से ही किसानों ने तिकोनिया में  विरोध किया था। 25 सितंबर, 2021 को पलिया में एक कार्यक्रम के दौरान एक धर्म विशेष के किसानों को राज्य से खदेड़ने की खुली चेतावनी के बाद से ही किसानों में नाराजगी थी। घटना के बाद भी टैनी लगातार किसानों और पत्रकारों को बाहुबली स्टाइल में डराने-धमकाने की कोशिश में आपत्तिजनक बयानवाजी करते रहे हैं। महापड़ाव के दौरान भी किसानों और किसान नेताओं के प्रति भद्दी भाषा का इस्तेमाल किया था। 

   देश भर में कई दिनों तक चले विरोध के बाद शहीद किसानों को 45 लाख रूपये का मुआवजा दिया गया। उधर सुप्रीम कोर्ट की मध्यस्थता के बाद मंत्रीपुत्र आशीष मिश्रा और उसके साथियों की गिरफ्तारी हो सकी। लेकिन वहीं आश्वासन के विपरीत 4 किसानों को हत्या जैसे संगीन मामलों में एक साल से जेल में कैद कर रखा हुआ है। अभी तक घायलों को कोई आर्थिक मदद नहीं मिली। यहाँ तक कि घटना के गवाहों पर जानलेवा हमले और पैरवी कर रहे किसान नेताओं पर फर्जी मुकदमे थोपे जा रहे हैं। 

   अगस्त में आजादी की 75 वीं साल पर देश भर से किसान संगठनों ने 75 घंटों का लखीमपुर में महापड़ाव रखा। महापड़ाव के समय जिला प्रशासन ने अगस्त के अंत तक राज्य सरकार और समझौते में शामिल अधिकारियों के साथ वार्ता कराने का आश्वासन दिया। लेकिन आज तक सरकार की ओर से वार्ता का कोई प्रस्ताव नहीं मिला। 

  आखिर में 4 सितंबर को दिल्ली में एसकेएम की राष्ट्रीय बैठक में लखीमपुर हत्याकांड की पहली बरसी पर देशभर में विरोध-प्रदर्शन करने का निर्णय लिया। सभी जिला मुख्यालयों पर सभी किसान संगठन एकजुटता के साथ काली पट्टियां बांधकर विरोध  करेंगें। केन्द्र सरकार की सांकेतिक अर्थी निकालकर पुतला फूँकेंगें। विरोध-प्रदर्शन के दौरान आमजन को कोई तकलीफ न हो इसका किसान पूरा ध्यान देंगें। उधर तिकुनिया़ं में कौडियाला घाट स्थित गुरूद्वारे में श्रद्धांजलि सभा रखी गई है। जिसमें किसान नेता राकेश टिकैत समेत राज्य के कई प्रमुख नेता शामिल होंगें। 

 

 

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