GAURAV BAJPAI
केंद्र सरकार ने बुधवार को मोनेटाइजेशन या मुद्रीकरण की दिशा में बड़ा कदम उठाया। मोदी मंत्रिमंडल ने ‘राष्ट्रीय भूमि मुद्रीकरण निगम’ (NLMC) के गठन को मंजूरी दे दी।
नवगठित निगम बंद पड़े या बंद होने की कगार पर पहुंचे या बेचे जा रहे सार्वजनिक उद्यमों (PSUs) की अतिरिक्त भूमि का मुद्रीकरण करेगा। यानी सरकार इन संस्थानों की अतिरिक्त जमीनों को बेचकर राजस्व जुटाएगी। एनएलएमसी का गठन भारत सरकार के पूर्ण स्वामित्व वाली एक कंपनी के रूप में होगा।
इसकी आरंभिक अधिकृत अंश पूंजी (share capital) 5 हजार करोड़ रुपये होगी, जबकि चुकता अंश पूंजी (paid-up share capital) 150 करोड़ रुपये होगी। एक आधिकारिक विज्ञप्ति में यह जानकारी दी गई है।
यह सार्वजनिक क्षेत्र के केंद्रीय उपक्रमों (CPSEs) व अन्य सरकारी एजेंसियों की अतिरिक्त भूमि या भवनों के मुद्रीकरण का काम करेगा। दरअसल इसके तहत उन बेकार पड़ी जमीनों व भवनों को बेचा जाएगा, जिनकी सरकार को जरूरत नहीं है। इनका नकदीकरण कर सरकार के खजाने को भरा जाएगा। गैर-प्रमुख संपत्तियों के मुद्रीकरण के साथ, सरकार अप्रयुक्त और कम उपयोग वाली संपत्तियों का मुद्रीकरण करके पर्याप्त राजस्व जुटाने में सक्षम होगी।
वर्तमान में सीपीएसई के पास बड़ी तादाद में ऐसी जमीनें व भवन हैं, जिनका कम इस्तेमाल हो रहा है या बिलकुल इस्तेमाल नहीं हो रहा है या ये बेकार पड़े हैं। इनके विमुद्रीकरण से इन जमीनों व भवनों का जहां उत्पादक कार्यों में उपयोग हो सकेगा। इससे निजी क्षेत्र का निवेश बढ़ेगा और नई आर्थिक गतिविधियां शुरू हो सकेंगी, स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा और आर्थिक व सामाजिक बुनियादी ढांचे के लिए वित्तीय संसाधन पैदा किए जा सकेंगे।