रिपोर्ट- सिद्धांत सिंह
लोग यूं ही धरती पर डॉक्टर्स को भगवान नहीं कहते हुआ यू की कुशीनगर निवासी मुन्ना और सुंदरी अपने 10 महीने के इकलौते बेटे को लेकर काफी परेशान थे l पिछले 2 महीनों से उसको खांसी, सांस लेने में परेशानी, सांस का तेजी से चलना और आए दिन निमोनिया की बीमारी से बच्चे की परेशानी बढ़ गई थी l
कई जगह इलाज कराया लेकिन आराम नहीं हुआ, प्रत्येक जगह कोरोना की बीमारी कह कर मना कर देते थे l अत: उसके माता पिता बच्चे को लेकर लखनऊ के केजीएमयू अस्पताल में पहुंचे l बच्चा प्रोफेसर जेडी रावत, पीडियाट्रिक सर्जरी डिपार्टमेंट के अंतर्गत भर्ती हुआ, बच्चे की सांस लेने की परेशानी बढ़ती जा रही थी एवं कोरोना की जांच भी नेगेटिव आ गई परंतु एक्स-रे और सीटी स्कैन की जांच में ज्ञात हुआ कि बाएं तरफ का फेफड़ा बाएं तरफ की छाती में गांठ होने के कारण पूरी तरह से सिकुड़ चुका था l
क्योंकि बच्चा सांस लेने में असमर्थ हो गया था और एक एमरजैंसी अवस्था बन गई जिसकी वजह से आकस्मिक चिकित्सीय कार्रवाई के तहत बाय छाती में नली डालनी पड़ी जिससे बच्चा सांस ले सके, इससे बच्चे को काफी आराम मिला और डॉक्टर जेडी रावत ने अपनी टीम को ऑपरेशन करने की सलाह दी l
बच्चे में रक्त की कमी पाए जाने पर उसको रक्त चढ़ाया गया और फिर ऑपरेशन किया गया l निशचेतना विभाग की प्रोफेसर विनीता सिंह डॉ रवि प्रकाश की टीम ने तैयारी के तौर पर ऑपरेशन के बाद वेंटीलेटर की आवश्यकता की बात कही l लॉर्ड और पोस्ट ऑफ वेंटीलेटरी सपोर्ट की व्यवस्था के पश्चात बच्चे को 21 जून 2021 को ऑपरेशन थिएटर में ले जाया गया l बच्चे को जनरल एनेस्थीसिया दिया गया और बाएं छाती को खोलकर ऑपरेशन शुरू किया गया l
प्रोफेसर जेडी रावत और उनकी टीम को ऑपरेशन के दौरान काफी कठिनाई आई, गांठ इतना बड़ा था कि पूरे फेफड़े को दबा चुका था l गांठ दिल के पास पेरिकार्डियम और थायमस ग्लैंड से जुड़ा हुआ था l कुशलता परिचय देते हुए प्रोफेसर जेडी रावत और उनकी टीम डॉ सर्वेश कुमार, डॉ आनंद पांडे और सिस्टर वंदना, संतोष, दीपिका ने गांठ को बाहर निकाल दिया l निश्चितना विभाग के डॉक्टरों ने भी कुशलता का परिचय देते हुए सकुशल बच्चे को 28 जून को छुट्टी दे दी गई l